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श्रीनाथ जी की संध्या आरती

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श्रीनाथ जी की संध्या आरती

श्रीनाथ जी की संध्या आरती Om mandir
 

 

जय गोरख योगी (श्री गुरु जी) हर हर गोरख योगी । वेद पुराण बखानत, ब्रह्मादिक सुरमानत, अटल भवन योगी । ऊँ जय गोरख योगी ॥ बाल जती ब्रह्मज्ञानी योग युक्ति पूरे (श्रीगुरुजी) योग युक्ति पूरे । सोहं शब्द निरन्तर (अनहद नाद निरन्तर) बाज रहे तूरे । ऊँ जय गोरख योगी ॥

रत्नजड़ित मणि माणिक कुण्डल कानन में (श्री गुरुजी) कुंडल कानन में जटा मुकुट सिर सोहत मन मोहत भस्मन्ती तन में । ऊँ जय गोरख योगी ॥

आदि पुरुष अविनाशी, निर्गुण गुणराशी (श्री गुरुजी) निर्गुण गुणराशी, सुमिरण से अघ छूटे, सुमिरन से पाप छूटे, टूटे यम फाँसी । ऊँ जय गोरख योगी ॥

ध्यान कियो दशरथ सुत रघुकुल वंशमणी (श्री गुरुजी) रघुकुल वंशमणि, सीता शोक निवारक, सीता मुक्त कराई, मार्यो लंक धनी । ऊँ जय गोरख योगी ॥

नन्दनन्दन जगवन्दन, गिरधर वनमाली, (श्री गुरुजी) गिरधर वनमाली निश वासर गुण गावत, वंशी मधुर वजावत, संग रुक्मणी बाली । ऊँ जय गोरख योगी ॥

धारा नगर मैनावती तुम्हरो ध्यानधरे (श्रीगुरुजी) तुम्हरो ध्यान धरे अमर किये गोपीचन्द, अमर किये पूर्णमल, संकट दूर करे । ऊँ जय गोरख योगी ॥

चन्द्रावल लखरावल निजकर घातमरी, (श्रीगुरुजी) निजकर घातमरी, योग अमर फल देकर, 2 क्षण में अमर करी । ऊँ जय गोरख योगी ॥

भूप अमित शरणागत जनकादिक ज्ञानी, (श्रीगुरुजी)जनकादिक ज्ञानी मान दिलीप युधिष्ठिर 2 हरिश्चन्द्र से दानी । ऊँ जय गोरख योगी ॥

वीर धीर संग ऋद्धि सिद्धि गणपति चंवर करे (श्रीगुरुजी) गणपति चँवर करे जगदम्बा जगजननी 2 योगिनी ध्यान धरे । ऊँ जय गोरख योगी ॥

दया करी चौरंग पर कठिन विपतिटारी (श्रीगुरुजी) कठिन विपतिटारी दीनदयाल दयानिधि 2 सेवक सुखकारी । ऊँ जय गोरख योगी ॥

इतनी श्री नाथ जी की मंगल आरती निशदिन जो गावे (श्रीगुरुजी) प्रात समय गावे, भणत विचार पद (भर्तृहरि भूप अमर पद)सो निश्चय पावे । ऊँ जय गोरख योगी ॥

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